माँ तू ही तू
कुछ नहीं होगा तो भी आँचल में छुपा लेगी .
माँ कभी सर पे खुली छत नहीं रहने देगी .
देखा नहीं उसको कभी भगवान की सूरत क्या होगी
ए माँ तुझसे बदकर भगवान की सूरत क्या होगी ..
ये तो सच है के भगवान है, है मगर फिरभी भी अनजान है.
धरती पे रूप माँ बाप का उस विधाता की पहचान है.